कंपनी के ८ प्रकार | 8 Types Of Company In India Hindi

भारत में कई प्रकार की Business Entities या कंपनी के प्रकार होते हैं। जब भी आप कोई व्यवसाय शुरू करते हैं तो आपको एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना होता है की  कौनसे  प्रकार की कंपनी या बिज़नेस को शुरू करे ?

बिज़नेस का Registration करते समय आपको अपने बिज़नेस या कंपनी का प्रकार चुनना होता है।  

एक कंपनी या बिज़नेस का सही प्रकार न केवल कानूनी पहलुओं के लिए उपयोगी होता  है, बल्कि कई मायनों में उपयोगी होता है। बिज़नेस कई Types के होते है

विभिन्न प्रकार की व्यावसायिक संस्थाएँ या बिज़नेस के प्रकार विभिन्न प्रकार के लोगों के लिए और विभिन्न प्रकार  के बिज़नेस के लिए उपयोगी होती हैं। एक Business की Ownership या स्वामित्व / मालिकी कई प्रकार की होती है।

यदि आप गलत प्रकार का कंपनी प्रकार या Business Entity  चुनते हैं तो यह आपके Business के लिए कई समस्याएं पैदा करेगा जैसे Tax की समस्याएं, कानूनी समस्याएं,  नियामक समस्याएं या Regulatory समस्याएं।

भारत में विभिन्न प्रकार की कंपनी के लिए विभिन्न प्रकार के नियम और कानून हैं।

आपको अपने व्यवसाय के लिए सही Business Entity या कंपनी का प्रकार चुनना चाहिए।

इस पोस्ट में, आपको भारत में कोण कोनसे कंपनी के प्रकार या बिज़नेस  Entities होती है और उन के बारेमे जो भी जरुरी जानकारी होती है वह मिलने वाली है वो भी Hindi में । 

साथ में इन सभी प्रकार के Business Entities के या कंपनी के प्रकारों के फायदे और नुकसान भी आपको जानने को मिलेंगे।

चलिए, शुरू करते हैं। –

1. Sole Proprietorship ( एकल स्वामित्व )

एकल स्वामित्व यह व्यवसाय का या Business का एक ऐसा प्रकार है जिसमे एक व्यक्ति या एक Single Individual बिज़नेस का मालिक या Owner होता है। एकल स्वामित्व को Individual Entrepreneurship के रूप में भी जाना जाता है।

एकल स्वामित्व या Sole Proprietorship में, व्यवसाय और उस व्यवसाय का मालिक दोनों को समान माना जाता हैं। जब व्यवसाय का मालिक मर जाता है तो व्यवसाय भी मर जाता है।

आप Owner और Business के बीच अंतर नहीं कर सकते। यह दोनों एक ही माने जाते है। 

Sole Proprietorship ( एकल स्वामित्व ) सबसे आसान और सबसे लोकप्रिय बिज़नेस का प्रकार है। आप  एकल मालिक के रूप में बड़ीआसानी से अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।

व्यवसाय का मालिक अन्य कर्मचारियों को अपने व्यवसाय के लिए काम पर रख सकता है।

व्यवसाय की सभी संपत्ति Business Owner की होती है।

व्यवसाय का मालिक व्यवसाय के सभी Debts ( कर्ज )और Losses ( नुकसानों ) के लिए जिम्मेदार होता है।

Business Owner अपने व्यवसाय को अपने नाम से Operate कर सकता है या वह   अपने Business को कोई नाम भी दे सकता है।

यदि आप अकेले एक व्यवसाय शुरू कर रहे हैं तो यह आपके लिए सबसे अच्छा Business का प्रकार है।

Sole Proprietor के रूप में व्यवसाय शुरू करने के लिए, कोई कानूनी औपचारिकताओं की आवश्यकता नहीं है। Sole Proprietorship के लिए कोई अलग से कानून भी नहीं है।

भारत में, यदि आप एक Sole Proprietor के रूप में काम कर रहे हैं तो आपको अपना व्यवसाय Registration करने की भी कोई आवश्यकता नहीं होती है।

आपके व्यवसाय के आधार पर आपको अपना व्यवसाय चलाने के लिए कुछ लाइसेंस या परमिट की आवश्यकता हो सकती है।

एकमात्र प्रोप्राइटरशिप के लाभ

  1. कम खर्च में व्यवसाय शुरू किया जा सकता है। 
  2. Business शुरू करना बहुत ही आसान होता है।
  3. आप अपना व्यवसाय जल्द से जल्द शुरू कर सकते हैं।
  4. मालिक का अपने व्यवसाय पर पूरा नियंत्रण होता है।
  5. निर्णय लेना काफी आसान होता है।
  6. Business  का पूरा  Profit व्यवसाय के मालिक का होता है।
  7. आप भविष्य में आसानी से अपने Business का प्रकार बदल सकते हैं।
  8. व्यवसाय शुरू करने के लिए किसी भी Registration की आवश्यक नहीं होती ।

एकमात्र प्रोप्राइटरशिप के नुकसान

  1. असीमित देयता ( व्यवसाय का  मालिक व्यक्तिगत रूप से सभी Debts [ कर्ज ]और Losses [ नुकसान ] के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार होता है। )
  2. नए विचार और नयी Ideas का कमी।
  3. Funds को आकर्षित करने की क्षमता बहुत कम होती है।
  4. Resources और Business Capital सीमित होते है।
  5. व्यवसाय पूरी तरह से व्यवसाय के मालिक पर निर्भर होता है।
  6. व्यवसाय को Scale करना या मुश्किल होता है।

2. General Partnership ( सामान्य भागीदारी )

General Partnership या सामान्य भागीदारी एक प्रकार की व्यावसायिक संरचना है जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति व्यवसाय को शुरू करते है और Operate करते हैं।

इस व्यवसाय के प्रकार में बिज़नेस के हमेशा दो या उससे अधिक मालिक होते हैं।

जनरल पार्टनरशिप बिज़नेस Indian Partnership Act, 1932 द्वारा नियंत्रित किये हैं।

आपके पार्टनरशिप बिज़नेस में कम से कम 2 और अधिक से अधिक 20 सदस्य हो सकते हैं। एग्रीमेंट के मुताबिक Business का Profit और Loss भागीदारों के या Partners के बीच में Share किया जाता हैं। General Partnership के लिए, भारत में Registration अनिवार्य नहीं है।

इस प्रकार का व्यवसाय लोगों या व्यवसायियों द्वारा असीमित देयता या Unlimited Liability के कारण पसंद नहीं किया जाता है। व्यवसाय में सभी Debts ( कर्ज ) और Losses ( नुकसान ) के लिए सभी Business Partners व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार और उत्तरदायी होते हैं।

Limited Liability Partnership की शुरुआत के बाद इस प्रकार की व्यावसायिक संरचना का या बिज़नेस के प्रकार का इस्तेमाल कम होता जा रहा है।

General Partnership के फायदे –

  1. इस प्रकार का व्यवसाय शुरू करना काफी आसान होता है।
  2. कम खर्च में Business शुरू किया जा सकता है।
  3. बिज़नेस के लिए Sole Proprietorship और One Person Company के मुकाबले अधिक Capital मिलता है 
  4. काम भागीदारों के बीच में Divide किया जाता है
  5. ऑडिट करना जरूरी नहीं होता है 
  6. Registration अनिवार्य नहीं है
  7. जोखिम, नुकसान और कर्ज  भागीदारों के बीच में Share किये जाते है।

General Partnership के नुकसान –

  1. असीमित देयता ( व्यवसाय के Partners व्यक्तिगत रूप से सभी Debts [ कर्ज ]और Losses [ नुकसान ] के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार होता है। )
  2. व्यवसाय का कोई अलग से अस्तित्व नहीं होता है।
  3. व्यवसाय पर आपका पूर्ण रूप से नियंत्रण नहीं रहेगा।
  4. फैसले लेना मुश्किल होता है ।
  5. भागीदारों के बीच टकराव या बहस होने की संभावना होती है।

3. Limited Liability Partnership ( सीमित देयता भागीदारी )

Limited Liability Partnership (एलएलपी) एक ऐसी व्यावसायिक संरचना है जिसमें कुछ भागीदारों की या सभी भागीदारों की Liability ( देयता ) Limited ( सीमित ) होती है।

कोई भी पार्टनर किसी अन्य पार्टनर द्वारा बनाई गयी Liability या कर्ज के लिए उत्तरदायी नहीं होता है।

इस तरह की Partnership अधिकांश लोगों द्वारा पसंद की जाती है क्योंकि General Partnership के मुकाबले इसके बहुत सारे फायदे होते हैं।

आपकी Partnership Business में कम से कम 2 सदस्य या Partners हो सकते हैं। अधिक से अधिक सदस्यों के लिए कोई भी मर्यादा नहीं है। आपके Business में जितने चाहें उतने Partners हो सकते हैं।

इस प्रकार की व्यावसायिक संरचना में Ownership को Transferred किया जा सकता है। Limited Liability Partnership (LLP) में, व्यवसाय या कंपनी का एक स्वतंत्र अस्तित्व होता है, इसलिए कंपनी का अस्तित्व भागीदारों ( Partners ) में बदलाव या भागीदारों ( Partners ) की मृत्यु से प्रभावित नहीं होता है।

इस प्रकार की Partnership या व्यावसायिक संरचना Limited Liability Partnership Act , 2008 द्वारा शासित किया जाता है

Partners के किसी भी अधिकार या कर्तव्यों को लिखित समझौते या Agreement  द्वारा निर्धारित किया जाता है।

RBI और FIPB के पूर्व Approval के साथ Foreign Ownership की भी अनुमति है लेकिन Limited Liability Partnership Act के अनुसार, यह आवश्यक है कि Limited Liability Partnership में कम से कम एक भागीदार ( Partner ) भारतीय होना चाहिए।

Limited Liability Partnership में IT रिटर्न फाइल करना जरूरी होता है । Limited Liability Partnership के लिए Audit अनिवार्य नहीं है लेकिन अगर आपका Turnover 40 लाख से अधिक है या LLP में योगदान 25 लाख से अधिक है तो ऑडिट की आवश्यकता होती है।

Limited Liability Partnership शुरू करने के लिए Minimum Capital की आवश्यकता नहीं है।

Limited Liability Partnership के  फायदे –

  1. सीमित दायित्व ( Limited Liability )
  2. इस प्रकार का व्यवसाय शुरू करना आसान होता है
  3. कम स्टार्टअप लागत
  4. अधिक से अधिक Partners की संख्या पर मर्यादा नहीं है
  5. काम पार्टनर्स के बीच बांटा जाता है
  6. Tax में Benefits (सीमित देयता भागीदारी के लिए कई Tax Benefits मिलते हैं)
  7. ऑडिट करना जरूरी नहीं है
  8. Partners के बीच जोखिम, हानि और कर्ज को Share किया जाता है

Limited Liability Partnership के नुकसान –

  1. Partners के बीच टकराव या बहस होने की संभावना
  2. निर्णय लेना कठिन होता क्यूंकि अलग अलग लोगों के विचार भिन्न होते है
  3. बिज़नेस को Scale करना मुश्किल होता है।

4. Private Limited Company ( प्राइवेट लिमिटेड कंपनी )

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बढ़ते हुए व्यवसायों और कंपनियों के बीच एक लोकप्रिय कंपनी का प्रकार  है। प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का कानूनी रूप से एक स्वतंत्र अस्तित्व होता है जिसका Company Act, 2013 के तहत Registration किया जाता है।

Private Limited Company में कम से कम 2 सदस्य और अधिक से अधिक 200 सदस्य हो सकते हैं। प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कम से कम 2 और अधिक से अधिक 15 डायरेक्टर होते है।

भारत के बहुत से क्षेत्रों में विदेशी Investment की अनुमति है।

एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में 2 से 200 Shareholders हो सकते हैं। Company के Shares को सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है। 

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में, Shareholders की Liability Limited होती है।

इस Company Type में कंपनी की Ownership को शेयर्स के माध्यम से Transferred किया जा सकता है।

Private Limited Company को Company Act, 2013 द्वारा शासित किया जाता है।

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए IT Return फाइल करना जरूरी होता है। इस प्रकार की व्यावसायिक संस्थाओं को Board Meeting करनी जरूरी होती है।

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के फायदे-

  1. Limited Liability ( सीमित दायित्व )
  2. Private Limited Company को General Partnership और Limited Liability Partnership के मुकाबले अधिक विश्वसनीय माना जाता है।
  3. Private Limited  Company का स्वतंत्र अस्तित्व होता है।
  4. Fundraising के लिए उपयोगी।
  5. कंपनी को Scale करना आसान होता है

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नुकसान –

  1. अधिकतम सदस्य संख्या के ऊपर मर्यादा होती है 
  2. ज्यादा Tax Benefits नहीं होते 
  3. Shares को सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है
  4. Shareholders को Shares ट्रांसफर करने का अधिकार प्रतिबंधित होता है

5. Public Limited Company ( पब्लिक लिमिटेड कंपनी )

पब्लिक लिमिटेड कंपनी में, Shares  को सार्वजनिक रूप से आम जनता के लिए प्रस्तुत किया जाता है। Public Limited Company को शेयर बाजार में List किया जा सकता है या कंपनी को Unlisted भी रखा जाता है।

इस Type की Company में Shareholders अपने हिस्से के Shares का स्वतंत्र रूप से व्यापार कर सकते हैं। वह Shares को खरीद सकते है या फिर बेच सकते है। 

सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी को Register करने के लिए कम से कम 7 सदस्यों की आवश्यकता होती है। इस कंपनी के प्रकार में अधिक से अधिक सदस्य संख्या के लिए कोई मर्यादा नहीं है।

पब्लिक लिमिटेड कंपनी में कम से कम 3 और अधिक से अधिक 15 डायरेक्टर हो सकते हैं।

शेयरधारकों की Liability  सीमित होती है, इसलिए वे कंपनी के किसी भी Debts और नुकसान के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी नहीं हैं।

पब्लिक लिमिटेड कंपनी को Company Act, 2013 के तहत Register किया जाता है और Company का एक स्वतंत्र अस्तित्व होता है।

यह Business या कंपनी का प्रकार  Company Act, 2013 द्वारा शासित किया जाता है

पब्लिक लिमिटेड कंपनी के लिए कंपनी का Prospectus प्रकाशित करना आवश्यक है।

Company Act, 2013 के अनुसार, कंपनी के नाम के बाद ‘Limited’ यह शब्द जोड़ना अनिवार्य है

पब्लिक लिमिटेड कंपनी के फायदे  –

  1. Capital Raising के लिए उपयोगी
  2. सीमित दायित्व ( Limited Liability )
  3. बड़ी कंपनियों के लिए उपयोगी
  4. अतिरिक्त विकास और विस्तार के लिए उपयोगी

पब्लिक लिमिटेड कंपनी के नुकसान –

कंपनी पर पूरा नियंत्रण नहीं होता  है

बहुत सारे Rules और Regulations होते है

6. One Person Company ( एक व्यक्ति कंपनी )

‘One Person Company’ Company Act, 2013 में पेश किया गया एक नया कंपनी प्रकार ( Company Type ) है।

यह Company Type Single Entrepreneur या अकेले व्यवसायिकों के लिए उपयोगी है जिसमें व्यवसाय के मालिक को कंपनी पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त होता है।

इस Company Type में Owner की या बिज़नेस के मालिक की Liability ( देयता ) Limited होती है। यानि की बिज़नेस के कर्ज और नुकसान के लिए मालिक व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार नहीं होता. 

अन्य प्रकार की कंपनियां जैसे की Private Limited Company या Public Limited Company शुरू करने के लिए आपको कई डायरेक्टर या सदस्यों की जरूरत होती है लेकिन ‘One Person Company’ के मामले में ऐसा नहीं है।

एक अकेला व्यक्ति भी ‘One Person Company’ शुरू कर सकता है।

Business Owner की मृत्यु के बाद Ownership को  Nominee को हस्तांतरित किया जा सकता है।

इस प्रकार के कंपनी में या Company Type में विदेशी Directors और विदेशी Nominee की अनुमति नहीं है।

अगर इस Company का Revenue 2 करोड़ से अधिक होता है या Paid Up Capital  50 लाख से अधिक होता है तो इस Company को Private Limited Company में परिवर्तित करना पड़ता है।

एक व्यक्ति कंपनी के लाभ –

  1. Company शुरू करना आसान है
  2. सीमित दायित्व ( Limited Liability )
  3. अकेला व्यक्ति भी Company शुरू कर सकता है 
  4. मालिक का कंपनी पर पूरा नियंत्रण होता है
  5. फैसले लेना आसान होता है 

एक व्यक्ति कंपनी के नुकसान

  1. Sole Proprietorship की तुलना में स्टार्टअप का खर्च अधिक होता है।
  2. Tax Benefits नहीं मिलते।
  3. आपको Audit करने की आवश्यकता होगी।
  4. Equity Funding जुटाना संभव नहीं है।

7. Hindu Undivided Family ( हिंदू अविभाजित परिवार )

इस प्रकार का व्यापारिक संगठन केवल भारत में पाया जाता है। इस प्रकार के व्यवसायों को Hindu Law द्वारा शासित किया जाता है। यह भारत के सबसे पुराने व्यापारिक प्रकारों में से एक है।

इस प्रकार का बिज़नेस हिन्दू परिवार के सदस्यों द्वारा शुरू किया जाता है और Operate किया जाता है।

गोद लिया हुआ व्यक्ति या बच्चा भी Hindu Undivided Family का हिस्सा बन जाता है। घर में जन्मा बच्चा या व्यक्ति जन्म से ही इस बिज़नेस का Member बन जाता है।

यह व्यवसाय घर का कर्ता या परिवार के प्रमुख द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

हिन्दू परिवार के सभी व्यक्तियों का इस प्रकार के Business के ऊपर पूर्ण अधिकार होता है।

आजकल, विभाजित परिवारों के कारण इस प्रकार के बिज़नेस कम होते जा रहे हैं।

हिंदू अविभाजित परिवार के लाभ –

  1. सारा Profit परिवार में रहता है
  2. घर जन्मे बच्चों को घर से ही व्यावसायिक शिक्षा मिलती हैं।
  3. निर्णय लेना काफी आसान होता है क्योंकि सम्पूर्ण नियंत्रण कर्ता या घर के प्रमुख के पास होता है।
  4. बिज़नेस के सभी व्यक्ति परिवार के होते है इसलिए Members को एकदूसरे पर भरोसा होता।

हिंदू अविभाजित परिवार के नुकसान-

  1. बाहरी सदस्यों के लिए Business में प्रवेश नहीं।
  2. काम का सारा बोझ कर्ता के ऊपर होता है।
  3. Business पर कर्ता का पूर्ण प्रभुत्व होता है।
  4. परिवार के सदस्यों में टकराव होने की संभावना होती है।

8. Co-Operative Society ( सहकारी समिति )

Co-Operative Society में लोग समान लाभ और उद्देश्यों के लिए एक दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं। Co-Operative Society Act, 1912 के तहत सहकारी समिति का Registration अनिवार्य होता है।

सहकारी समिति में, सदस्यों का अपने आर्थिक हितों की रक्षा करने का एक समान उद्देश्य होता है।

सहकारी समिति बनाना बहुत आसान है और सहकारी संस्था बनाने के लिए 10 वयस्क व्यक्तियों की सहमति आवश्यक है।

Co-Operative Society के लिए Shares के माध्यम से पूंजी जुटाई जाती है। Registration के बाद Society को कानूनी पहचान मिलती है।

कई प्रकार की सहकारी समितियाँ होती हैं जैसे कि Consumer’s Cooperative Society, Producers Co-Operative Society, Credit Co-Operative Society, Housing Co-Operative Society.

सहकारी समिति का लाभ –

  1. मतदान प्रणाली होती है।
  2. सीमित दायित्व ( Limited Liability )
  3. व्यवसाय के सभी सदस्यों का सामान्य हित होता है।
  4. सदस्यता लाभ (Co-Operative Society में कोई भी शामिल हो सकता है या फिर Membership को छोड़ भी सकता है)
  5. Business का स्वतंत्र अस्तित्व होता है।
  6. Government से मदद मिलती है।

सहकारी समिति का नुकसान –

  1. प्रभावी Management का अभाव होता है।
  2. Resources लिमिटेड होते है। 
  3. सरकार का नियंत्रण और हस्तक्षेप होता है।

Conclusion ( निष्कर्ष ) –

आपको अपने लिए सर्वोत्तम Business का प्रकार या कंपनी का प्रकार चुनना होगा। सभी की अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं।

इसलिए अपनी आवश्यकताओं का विश्लेषण करें और फिर अपने व्यवसाय के लिए सही व्यवसाय प्रकार या Company Type चुनें।

यदि आपको Business और Marketing के बारे में कोई प्रश्न हैं तो अपने प्रश्न Comment में पूछ सकते है ।

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लोगों द्वारा पूछे जाने वाले सवाल

1. कंपनियों के कितने प्रकार हैं?

वास्तव में, भारत में कई प्रकार की कंपनियां हैं लेकिन मुख्य रूप से 7 से 8 प्रकार की व्यापारिक संस्थाएं या कंपनियां हैं। अधिकांश लोगों को अन्य प्रकार के कंपनी फॉर्म की आवश्यकता नहीं होती है, उन्हें मुख्य रूप से भारत में 7 से 8 प्रकारों में से किसी एक Company Type की आवश्यकता होती है।

2. भारत में विभिन्न प्रकार की कंपनियां कौन सी हैं?

जैसा कि मैंने ऊपर दी गयी पोस्ट में बताया है, भारत में कई प्रकार की कंपनियां हो सकती हैं जैसे कि Sole Proprietorship, General Partnership, Limited Partnership, Private Limited Company, Public Limited Company, Co-Operative Company, One Person Company

3. किस प्रकार की कंपनी सबसे अच्छी है?

कंपनी का कोई भी एक प्रकार सबसे अच्छा नहीं होता। यह आपकी आवश्यकताओं पर निर्भर करता है की आपके लिए कोनसा अच्छा है । कुछ लोगों के लिए कोई एक प्रकार की कंपनी बेहतर है और अन्य लोगों के लिए कुछ अन्य प्रकार की कंपनी बेहतर है। आप ऊपर दी गयी Post पढ़ सकते हैं तब आपको अपनी आवश्यकताओं के बारे में स्पष्टता मिलेगी।

4. सीमित देयता ( Limited Liability ) से क्या तात्पर्य है?

सीमित देयता या Limited Liability का ये अर्थ है की व्यवसाय का मालिक या Business के  Owner का दायित्व सीमित  ( Limited )है। कुछ प्रकार की Company Type  में, व्यवसाय के मालिकों की देयता( Liability ) असीमित ( Unlimited ) होती है, वे किसी भी व्यावसायिक Debts  या Losses के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होते हैं। लेकिन सीमित देयता ( Limited Liability ) में, व्यवसाय का  मालिक किसी भी व्यावसायिक कर्ज  और नुकसान के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी नहीं हैं

5. दो मुख्य प्रकार की कंपनियां कौन सी हैं?

वास्तव में लोग हर प्रकार के Business Type  को ‘कंपनी’ कहते हैं। वैसे तो Company के कई प्रकार हो सकते है  लेकिन मुख्य रूप से दो प्रकार की कंपनियां हैं, जो ‘प्राइवेट लिमिटेड कंपनी‘ और ‘पब्लिक लिमिटेड कंपनी’ हैं। इन दिनों भारत में कंपनी का एक नया रूप पेश किया गया है जिसे ‘वन पर्सन कंपनी‘ कहा जाता है। ये तीनों भारत में Company Act, 2013 के अनुसार चलने वाली सबसे प्रसिद्ध प्रकार की कंपनियां हैं।

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